बहादुर बित्तो।
एक किसान था। उसकी बीवी का नाम था – बित्तो।
एक दिन किसान ने बित्तो से कहा – सुबह जब मैं खेत में हल चला रहा था तो एक शेर ने आकर कहा – किसान-किसान! अपना बैल मुझे दे दे वरना मैं तुझे खा जाऊंगा।
बित्तो ने उससे पूछा – तूने क्या जवाब दिया?
किसान ने कहा – मैंने कहा, तू यहीं रुक, मैं घर जाकर अपनी गाय ले आता हूँ। अगर तू बैल खा लेगा तो हम लोग भूखों मर जाएँगे।
यह सुनकर बित्तो को बहुत गुस्सा आया।
उसने किसान को फटकारा– घर की गाय शेर को खिलाते तुझे शर्म नहीं आती? अगर गाय चली गई तो घर में न दूध्, न लस्सी। बच्चे रोटी किस चीज़ के साथ खाएँगे?
बित्तो को एक तरकीब सूझी।
उसने कहा – तुम फौरन खेत में जाकर शेर से कहो कि मेरी बित्तो तुम्हारे खाने के लिए एक घोड़ा लेकर आ रही है।
किसान डरता-डरता शेर के पास गया। उसने कहा – शेर राजा! हमारी गाय तो बड़ी मरियल है। उससे तुम्हारा क्या बनेगा! मेरी बीवी अभी तुम्हारे लिए एक मोटा-ताजा घोड़ा लेकर आ रही है।
बित्तो सिर पर एक बड़ा-सा पग्गड़ बांध और हाथ में दराँती लेकर घोड़े पर सवार हो गई।
घोड़ा दौड़ाती वह खेत पर पहुची और ज़ोर से चिल्लाई – अरे किसान! तू तो कहता था कि तूने चार शेरों को
फाँस कर रखा है। यहाँ तो सिर्फ एक ही है। बाकी कहाँ गए?
फिर वह घोड़े से उतरकर शेर की तरफ बढ़ी और कहने लगी – अच्छा, कोई बात नहीं, नाश्ते में एक ही शेर काफी है।
इतना सुनना था कि शेर डर के मारे काँपने लगा और भाग खड़ा हुआ।
यह देखकर बित्तो बोली – देखा, इसे कहते हैं हिम्मत! तुम तो इतने डरपोक हो कि घर की गाय शेर के हवाले कर रहे थे।
उधर मारे भूख के शेर की आँतें छटपटा रही थीं। एक भेडि़ए ने पूछा – महाराज, क्या मामला है? आप आज बहुत उदास दिखाई दे रहे हैं!
शेर ने कहा – कुछ न पूछो, आज मुशिकल से जान बची है। आज एक ऐसी राक्षसी से पाला पड़ गया जो रोज़ सुबह चार शेरों का नाश्ता करती है।
यह सुनकर भेडि़या बहुत हँसा। वह सुबह झाड़ी में छिपकर सारा तमाशा देख रहा था। उसने कहा – भोले बादशाह! वह तो बित्तो थी, जिसे आपने राक्षसी समझ लिया था। आप इस बार फिर कोशिश करके
देखिए। अगर बैल आपके हाथ न आए तो मेरा नाम भेडि़या नहीं।
बहुत कहने-सुनने पर शेर किसान के खेत में जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उसने भेडि़ए से कहा – तुम अपनी पूँछ मेरी पूँछ से बाँध लो।
दोनों जने पूँछ बाँधकर चल पड़े। उन्हें देखते ही किसान के होश-हवास गुम हो गए। वह डर से थर-थर काँपने लगा। लेकिन बित्तो बिल्कुल नहीं घबराई।
भेडि़ए के पास जाकर उसने कहा – क्यों रे भेडि़ए, तू तो अभी वादा करके गया था कि तू अपनी पूँछ से चार शेर बाँधकर लाएगा! लेकिन तू तो सिर्फ एक ही शेर लाया है! वह भी मरियल-सा! भला इसे खाकर मेरी भूख मिट सकती है? खैर, इस वक्त यही सही।
इतना कहकर बित्तो आगे बढ़ी। शेर के होश-हवास उड़ गए। उसने समझा कि भेडि़ए ने उसके साथ धोखा किया है। वह फौरन वहाँ से भागा। भेडि़या बहुत चीखा-चिल्लाया, लेकिन शेर ने एक न सुनी। तेज़ी से भागता चला गया। किसान और बित्तो आराम से रहने लगे। उन्हें मालूम था कि अब शेर उनके खेत की तरफ फिर कभी नहीं आएगा।
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दोनों जने पूँछ बाँधकर चल पड़े। उन्हें देखते ही किसान के होश-हवास गुम हो गए। वह डर से थर-थर काँपने लगा। लेकिन बित्तो बिल्कुल नहीं घबराई।
भेडि़ए के पास जाकर उसने कहा – क्यों रे भेडि़ए, तू तो अभी वादा करके गया था कि तू अपनी पूँछ से चार शेर बाँधकर लाएगा! लेकिन तू तो सिर्फ एक ही शेर लाया है! वह भी मरियल-सा! भला इसे खाकर मेरी भूख मिट सकती है? खैर, इस वक्त यही सही।
इतना कहकर बित्तो आगे बढ़ी। शेर के होश-हवास उड़ गए। उसने समझा कि भेडि़ए ने उसके साथ धोखा किया है। वह फौरन वहाँ से भागा। भेडि़या बहुत चीखा-चिल्लाया, लेकिन शेर ने एक न सुनी। तेज़ी से भागता चला गया। किसान और बित्तो आराम से रहने लगे। उन्हें मालूम था कि अब शेर उनके खेत की तरफ फिर कभी नहीं आएगा।
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