क्या हैं ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी?
विशेष करके महिलाओं में उम्र के बढ़ने के साथ ही शरीर में कई सारी परेशानियाँ पैदा होने लगती हैं। इसलिए खानपान का सही होना जरूरी हैं। ज़रा सी लापरवाही कई सारी समस्याओं की वजह बन सकती हैं। आइये ऐसी ही एक बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में जानते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस क्या हैं?
ऑस्टियोपोरोसिस का मतलब Pores Bone होता हैं। यानी की यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमे हड्डियाँ धीरे-धीरे करके कमजोर होने लगती हैं। ज्यादा सीरियस सिचुएशन होने पर हड्डियाँ भुरभूरी भी होने लगती हैं। जिसकी वजह से हड्डियाँ आसानी से क्रैक भी जाती हैं। इस बीमारी में कलाइयाँ, हिप्स, कमर की हड्डी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता हैं। कई बार तो ऐसा भी होता हैं की कुर्सी उठाने जैसे मामूली काम को करने से भी हड्डीयां टूटने लगती हैं। यह एक ऐसी खतरनाक बीमारी हैं जो हड्डियों को कमजोर बना देती हैं। सबसे ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम हिप्स यानि कुल्हे की हड्डी टूटने से होती हैं। यह ऐसी बीमारी भी हैं जो पुरुषो के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती हैं।
यह बीमारी कब हो सकती हैं?
यह बीमारी खास करके ज्यादा उम्र के लोगो में होती हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं की यह बीमारी सिर्फ उम्रदराज लोगो को ही हो, बल्कि इस बीमारी का शिकार कोई भी किसी भी उम्र में बन सकता हैं। फिर भी यह बीमारी उम्रदराज महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं। इससे हड्डियाँ धीरे-धीरे करके प्रभावित होने लगती हैं। इस बिमारी का पता कई सालों तक मरीज़ को लग ही नहीं पाता हैं, जब तक उसकी कोई हड्डी टूट न जाये। इस बीमारी के चलते कई बार लोगो की हाइट पर भी असर पड़ता हैं, जिससे पीठ में कूबड़ निकल जाता हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी गंभीर ख़तरा क्यों हैं?
इस बिमारी की चपेट में हर साल लाखों लोग आते हैं। यह एक गंभीर बीमारी हैं, जिसपर नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन का यह मानना हैं की साल 2025 तक इससे 30 लाख तक हड्डियों के फ्रैक्चर हो चुके होंगे। 50 साल से ज्यादा आयु की प्रत्येक 2 में से एक महिला और 4 में से 1 पुरुष को कलाई, कमर, कुल्हे, हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो सकता है, क्योंकि इसमें यह मालूम ही नही लग पाता हैं की किस वजह से ऐसी प्रॉब्लम हो रही हैं। सबसे ज्यादा सीरियस स्तिथि कुल्हे का फ्रैक्चर होता हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी होने के कारण :-
अभी तक इस बीमारी की असली वजह पता नहीं चल पायी हैं। लेकिन कई सारे ऐसी वजहों का पता लगाया जा चूका है, जो इस बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। जैसे की उम्र का बढ़ना। क्योंकि स्त्री हो या पुरुष उम्र के बढ़ने के साथ ही उनकी हड्डियाँ पहले के मुकाबले कमजोर होने लगती हैं। 35 साल की उम्र के बाद शरीर में नयी हड्डियों का निर्माण नहीं हो पाता हैं। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ हड्डियाँ भी घिसती चली जाती हैं।
पारिवारिक इतिहास का होना
किसी भी फैमिली में हड्डियों के टूटने का सिलसिला लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता हैं। छोटे और सुडौल शरीर वालों में यह खतरा ज्यादा होता हैं। गलत आहार, जिसमे कैल्शियम की मात्रा न हो और ख़राब जीवनशैली की वजह से यह प्रॉब्लम हो सकती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की दवा लेने के दुष्प्रभाव :-
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए कुछ दवाएं हैं। जैसे की Steroids आदि, लेकिन इन मेडिसिन को लेने से शरीर को साइड-इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ता हैं, जैसे की थाइरोइड का बढ़ना या घटना हो सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको खुद ही समझना होगा की आप फ्रैक्चर होने से कैसे बच सकते हैं। भोजन में कैल्शियम और विटामिन डी की उचित मात्रा लेनी चाहिए। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज भी करते रहना चाहिए।
कैल्शियम की सही मात्रा लेते रहे
इससे बचाव करने का सही तरीका है की बढ़ते बच्चों को भरपूर मात्रा में कैल्शियम वाले आहार खिलाये जाये। अगर हड्डियों में वजन और मजबूती हैं तो इस बीमारी के होने की सम्भावना काफी ज्यादा कम हो जाती हैं। लेकिन अगर ग्रोथ करते समय पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न मिला हो तो बाद में उम्र बढ़ने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कैल्शियम की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं। आइये जानते हैं की रोजाना किस उम्र के लोगो के लिए कितनी मात्रा में कैल्शियम लेना चाहिए। कैल्शियम की मात्रा उम्र के हिसाब से तय होती हैं।
डेयरी प्रोडक्ट्स कैल्शियम का बेस्ट सोर्स हैं। एक गिलास दूध पीने से शरीर को 300 ml कैल्शियम की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा कैल्शियम के अन्य स्त्रोत भी हैं, जिनमे हरी पत्तेदार सब्जियां प्रमुख्य हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के तरीके क्या हैं?
यह बात एक दम सच हैं की जो हड्डी खराब हो चुकी हैं, उसे बचाया नहीं जा सकता हैं। लेकिन बाकी हड्डियों को बचाना जरूरी हैं।
इलाज के तरीके :-
• Estrogen replacement therapy :- इसे ERT के नाम से जाना जाता हैं। यह उन स्त्रियों के लिए हैं, जिनमे ऑस्टियोपोरोसिस होने का ख़तरा ज्यादा रहता हैं। जिससे उनकी हड्डियों को टूटने और हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद मिल सके। Bone Desnsity जब मेनोपॉज के दौरान ली जाती हैं तो तभी तय कर लिया जाता हैं की ERT मरीज़ के लिए सही रहेगा या नहीं। लेकिन ERT करवाने से ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा भी रहता हैं।
• Calcitonin :- यह नेज़ल स्प्रे की तरह हैं, जिससे हड्डियों में मजबूती आती हैं। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी को टूटने से बचाता हैं।
• Selective estrogen-receptor :- New Anti estrogen को Selective estrogen receptor modulators (SERMs) कहा जाता हैं। इससे हड्डियों का वजन बढ़ता हैं। साथ ही रीढ़ की हड्डी के टूटने का ख़तरा कम हो जाता हैं और इससे ब्रैस्ट कैंसर होने का ख़तरा भी नहीं रहता हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस क्या हैं?
ऑस्टियोपोरोसिस का मतलब Pores Bone होता हैं। यानी की यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमे हड्डियाँ धीरे-धीरे करके कमजोर होने लगती हैं। ज्यादा सीरियस सिचुएशन होने पर हड्डियाँ भुरभूरी भी होने लगती हैं। जिसकी वजह से हड्डियाँ आसानी से क्रैक भी जाती हैं। इस बीमारी में कलाइयाँ, हिप्स, कमर की हड्डी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता हैं। कई बार तो ऐसा भी होता हैं की कुर्सी उठाने जैसे मामूली काम को करने से भी हड्डीयां टूटने लगती हैं। यह एक ऐसी खतरनाक बीमारी हैं जो हड्डियों को कमजोर बना देती हैं। सबसे ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम हिप्स यानि कुल्हे की हड्डी टूटने से होती हैं। यह ऐसी बीमारी भी हैं जो पुरुषो के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती हैं।
यह बीमारी कब हो सकती हैं?
यह बीमारी खास करके ज्यादा उम्र के लोगो में होती हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं की यह बीमारी सिर्फ उम्रदराज लोगो को ही हो, बल्कि इस बीमारी का शिकार कोई भी किसी भी उम्र में बन सकता हैं। फिर भी यह बीमारी उम्रदराज महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं। इससे हड्डियाँ धीरे-धीरे करके प्रभावित होने लगती हैं। इस बिमारी का पता कई सालों तक मरीज़ को लग ही नहीं पाता हैं, जब तक उसकी कोई हड्डी टूट न जाये। इस बीमारी के चलते कई बार लोगो की हाइट पर भी असर पड़ता हैं, जिससे पीठ में कूबड़ निकल जाता हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी गंभीर ख़तरा क्यों हैं?
इस बिमारी की चपेट में हर साल लाखों लोग आते हैं। यह एक गंभीर बीमारी हैं, जिसपर नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन का यह मानना हैं की साल 2025 तक इससे 30 लाख तक हड्डियों के फ्रैक्चर हो चुके होंगे। 50 साल से ज्यादा आयु की प्रत्येक 2 में से एक महिला और 4 में से 1 पुरुष को कलाई, कमर, कुल्हे, हाथ-पैर में फ्रैक्चर हो सकता है, क्योंकि इसमें यह मालूम ही नही लग पाता हैं की किस वजह से ऐसी प्रॉब्लम हो रही हैं। सबसे ज्यादा सीरियस स्तिथि कुल्हे का फ्रैक्चर होता हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी होने के कारण :-
अभी तक इस बीमारी की असली वजह पता नहीं चल पायी हैं। लेकिन कई सारे ऐसी वजहों का पता लगाया जा चूका है, जो इस बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। जैसे की उम्र का बढ़ना। क्योंकि स्त्री हो या पुरुष उम्र के बढ़ने के साथ ही उनकी हड्डियाँ पहले के मुकाबले कमजोर होने लगती हैं। 35 साल की उम्र के बाद शरीर में नयी हड्डियों का निर्माण नहीं हो पाता हैं। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ हड्डियाँ भी घिसती चली जाती हैं।
पारिवारिक इतिहास का होना
किसी भी फैमिली में हड्डियों के टूटने का सिलसिला लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता हैं। छोटे और सुडौल शरीर वालों में यह खतरा ज्यादा होता हैं। गलत आहार, जिसमे कैल्शियम की मात्रा न हो और ख़राब जीवनशैली की वजह से यह प्रॉब्लम हो सकती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की दवा लेने के दुष्प्रभाव :-
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए कुछ दवाएं हैं। जैसे की Steroids आदि, लेकिन इन मेडिसिन को लेने से शरीर को साइड-इफेक्ट्स का भी सामना करना पड़ता हैं, जैसे की थाइरोइड का बढ़ना या घटना हो सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको खुद ही समझना होगा की आप फ्रैक्चर होने से कैसे बच सकते हैं। भोजन में कैल्शियम और विटामिन डी की उचित मात्रा लेनी चाहिए। साथ ही रोजाना एक्सरसाइज भी करते रहना चाहिए।
कैल्शियम की सही मात्रा लेते रहे
इससे बचाव करने का सही तरीका है की बढ़ते बच्चों को भरपूर मात्रा में कैल्शियम वाले आहार खिलाये जाये। अगर हड्डियों में वजन और मजबूती हैं तो इस बीमारी के होने की सम्भावना काफी ज्यादा कम हो जाती हैं। लेकिन अगर ग्रोथ करते समय पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम न मिला हो तो बाद में उम्र बढ़ने के साथ ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कैल्शियम की सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं। आइये जानते हैं की रोजाना किस उम्र के लोगो के लिए कितनी मात्रा में कैल्शियम लेना चाहिए। कैल्शियम की मात्रा उम्र के हिसाब से तय होती हैं।
उम्र
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कैल्शियम की मात्रा प्रति दिन की जरूरत
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9 से 18 साल के उम्र के
लड़के-लड़कियों के लिये
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1300 ml कैल्शियम प्रति
दिन
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19 से 50 साल की उम्र
वालों के लिए
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1000 ml कैल्शियम की
मात्रा रोजाना
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50+ से ज्यादा उम्र वालों
के लिए
|
1200 ml कैल्शियम प्रति
दिन
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डेयरी प्रोडक्ट्स कैल्शियम का बेस्ट सोर्स हैं। एक गिलास दूध पीने से शरीर को 300 ml कैल्शियम की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा कैल्शियम के अन्य स्त्रोत भी हैं, जिनमे हरी पत्तेदार सब्जियां प्रमुख्य हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के तरीके क्या हैं?
यह बात एक दम सच हैं की जो हड्डी खराब हो चुकी हैं, उसे बचाया नहीं जा सकता हैं। लेकिन बाकी हड्डियों को बचाना जरूरी हैं।
इलाज के तरीके :-
• Estrogen replacement therapy :- इसे ERT के नाम से जाना जाता हैं। यह उन स्त्रियों के लिए हैं, जिनमे ऑस्टियोपोरोसिस होने का ख़तरा ज्यादा रहता हैं। जिससे उनकी हड्डियों को टूटने और हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद मिल सके। Bone Desnsity जब मेनोपॉज के दौरान ली जाती हैं तो तभी तय कर लिया जाता हैं की ERT मरीज़ के लिए सही रहेगा या नहीं। लेकिन ERT करवाने से ब्रेस्ट कैंसर होने का ख़तरा भी रहता हैं।
• Calcitonin :- यह नेज़ल स्प्रे की तरह हैं, जिससे हड्डियों में मजबूती आती हैं। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी को टूटने से बचाता हैं।
• Selective estrogen-receptor :- New Anti estrogen को Selective estrogen receptor modulators (SERMs) कहा जाता हैं। इससे हड्डियों का वजन बढ़ता हैं। साथ ही रीढ़ की हड्डी के टूटने का ख़तरा कम हो जाता हैं और इससे ब्रैस्ट कैंसर होने का ख़तरा भी नहीं रहता हैं।
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