घमंड का फल।
एक बार की बात है, एक नदी में सृंग नाम का मेंढक अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत ही घमंडी था। वह अपने बच्चों को हमेशा यही कहता रहता था की वह संसार का सबसे बड़ा जीव है, और इस संसार में उसके सिवाए और कोई इतना विशाल नहीं है। सृंग मेंढक के बच्चे इसे ही सत्य मानते थे। एक दिन सृंग मेंढक के बच्चे नदी के बाहर निकले और खेलने लगे।
तभी एक बैल प्यास के कारण नदी पर जल पिने के लिए आया। जिसे देखकर मेंढक के बच्चे डर गए। आज तक उन्होंने इतना विशाल जीव नहीं देखा था।
वह यह सोचने लगे की पिताजी तो कहते है की संसार में वह सबसे बड़े जीव है, तो यह विशाल जीव कौन है ?
इसकी सुचना देने के लिए वह नदी में वापिस चले गए और सृंग मेंढक से जाकर उन्होंने कहा,” पिताजी आज हमने आपसे कई गुणा विशाल जीव नदी के बाहर देखा।”
सृंग मेंढक को यह बात सुनकर बहुत ज्यादा गुस्सा आया। उसने फिर उनसे पूछा क्या तुमने सच-मुच मुझसे बड़ा जीव देखा है ?
इस पर बच्चों ने उत्तर दिया ,”जी, पिताजी वह आपसे 100 गुणा बड़ा था।”
इस पर सृंग मेंढक अपनी साँस फूला कर बोला, ” क्या वह इतना बड़ा था?”
“नहीं,पिताजी इससे भी सौ गुना बड़ा था।”, मेंढक के बच्चों ने उत्तर दिया। इस पर सृंग मेंढक और साँस फूला कर बोला क्या वह इतना बड़ा था।
“नहीं,पिताजी इससे भी सौ गुना बड़ा था।”, मेंढक के बच्चों ने उत्तर दिया। इस पर सृंग मेंढक को और ज्यादा क्रोध आया, वह गुस्से और ईर्ष्या की आग में जल रहा था, वह अपनी साँस लगातार फुलाता जाता और बार-बार
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